दुनियॉ कोविड-19 से झुज रही है और अगर आप खबरों की दुनिया से जुड़े रहते होंगे तो आपने कोविड-19 के साथ-साथ Black Fungus Kya Hai तो जरूर सुना होगा।
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Black Fungus Kya Hai ?
ब्लैक फंगस हवा, इंसानी बलगम के अलावा मिट्टी, पौधों जैसी जगहों पर नेचुरली पाया जाता है जो नाक, स्किन और खुन के जरिए बॉडी में सर्व करता है ।
कोविड-19 जहां इंफेक्सन के अनुसार मरने कि दर बहुत कम है वही ब्लैक फंगस में मरने दर 50% है ।
अक्सर मरिज को इस बिमारी के बारे में जब पता जलता है जब देर हो चुकी होती है इसकी पहचान
- आंख में और सिर में दर्द होना
- नाक का बंद होना
- दांतों में दर्द होना नाक से खून आना
- नजर का धुंधला होना
- चेहरे पर सूजन
- खून की उल्टी ब्लैक फंगस के प्रमुख लक्षण है ।
कोविड कि वजह से हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है इलाज के दौरान अगर एस्ट्रोराइड दिया जाता है वह भी इम्यूनिटी को कमजोर करता है तब डायबिटिक पेशेंट में इंफेक्शन फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
वैसे तो कोविड-19 और ब्लैक फंगस दोनो अलग – अलग बिमारीयॉ है लेकिन कोविड-19 के साथ डायबिटिक का कोम्बीनेशन मिल जाए तो ब्लैक फंगस होने की पॉसिबिलिटीज बढ़ जाती है और इस कोम्बिनेशन से पेशेंट में कोम्पलीकेशन बढ जाते है ।
What is Mucormycosis ?
यह एक तरह का फंगस इंफेक्सन है जो उन लोगो मे आसानी से फैल जाता है जो किसी न किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो।
इस समय कोविड-19 और ब्लैक फंगस इंफेक्सन को ज्यादा घातक बना रहा है कोविड-19 टास्क फोर्स ने सभी लोगों को इस खतरे के प्रति आगाह किया है।
ICMR कि एक रिसर्च के मुताबित कुछ खास सिचुऐसन मे ही कोरोना वायरस के पेशेंट को Mucormycosis का खतरा होता है।
इनमे अन कंट्रोल डाईबिटीज, ऐस्ट्रोराईड लेने की वजह से डैमेज इम्यूनीटी, लंबे समय तक आईसीयू हॉस्पिटल में रहने या किसी दूसरी बीमारी होने पर यह खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा पोस्ट ऑर्गन ट्रांसप्लांट, कैंसर, वोरिकोनाजोल, थेरेपी यानी गंभीर फंगल इनफेक्शन का इलाज हुआ हो तब भी ब्लैक फंगस की संभावना बढ जाती है ।
Black Fungus Symptoms
इन लक्षण में सबसे प्रमुख है आंखों में लाली या दर्द होना, बुखार, सिर दर्द, खांसी के साथ-साथ अगर सांस लेने में तकलीफ है तो यह ब्लैक फंगस के लक्षण है ।
इसके अलावा अगर उल्टी या आपकी मेंटल कंडीसन मे बदलाव आ रहे हैं तभी इसे ब्लैक फंगस के सिम्टम्स के रूप में देखा जा सकता है। ऐसा सिम्टम्स को भूल कर भी इंगनोर नहीं करना चाहिए।
एक्सपर्ट का कहना है कि हवा में फैले हुऐ बिमारी के कणो के संपर्क में आने वाला व्यक्ति इस तरह के फंगल इनफेक्शन का शिकार हो सकता है।
ब्लैक फंगस बॉडी के स्किन पर भी डवलब हो सकता है शरीर मे प्रवेश करने के लिए होने के लिए शरीर पर लगी कोई चोट, रगड या फिर जले हुए हिस्से ही काफी है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि यह फंगस खून के साथ बहता हुआ हमारे लंग्स आंख, नाक और बैन तक पहुंचता है जिसकी वजह से वहां पर स्वलींग आने लगती है
Humidifier ऑक्सीजन में ब्लैक फंगस जल्दी बनता है खबरो कि माने तो पिछले दिनों झारखंड में ब्लैक फंगस की चपेट में आकर दो लोगों ने अपनी जान गवाई थी ।
इस घटना के बाद स्टेट गवर्नमेंट अलर्ट हो गई है एक मरीज की सर्जरी करके उसकी आंख निकालनी पड़ है।
झारखंड के ऐप्युडोमोलोजीस्ट डॉक्टर प्रविण करण के अनुसार डायबिटीज पेशेंट को ब्लॉक फंगस का खतरा ज्यादा रहता है।
Black Fungus Treatment
इस फंगस के इलाज में एंटी फंगल इंजेक्सन Amphotericin B Liposmal है यह इंजेक्सन लगभग 5 से 6 हजार रूपये मे मिल जाऐ करता था डिमांड न होने कि वजह से यह MRP रेट से कम में मिल जाया करता था लेकिन अब MRP से भी अधिक रेट पर भी मिलना बड़ा मुश्किल हो गया है।
इसके अलावा एक्पर्ट का कहना है कि ओरल हाईजीन मेन्टेन ना रखने के वजह से भी ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है।
इस बारे में श्री राम मूर्ति स्मारक मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डॉक्टर राहुल गोयल के अनुसार जरूरत पड़ने पर कोवीड-19 के इंफेटीव पेशेंट को 5 से 7 दिन तक ऑक्सीजन लगाई जा रही है ।
इस दौरान का खतरा ब्लैक फंगस का खतरा इसलिए बढ़ जाता है कि जो मरीज मरीज ऑक्सीजन पर होते हैं उनके अपने परिवार के लोग मरीज से दूर रहते हैं और मेडिकल स्टाफ मरीज की ओरल हाईजींन को इंगनोर करता है ।
तब कई दिनों तक मरीज के मुंह कि सफाई नही होती लगातार Humidifier Oxygen मुंह और नाक के रास्ते मरीज के शरीर के अन्दर जाती है और मरीज के मुंह और नाक में सफेद परत या पपडी जम जाती है और यहीं से ब्लैक फंगस का इंनफेक्सन शुरू होता है ।
इस लिए जरूरी है कि जिन मरिजो को ऑक्सीजन दि जा रही है उनके मुंह की सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखा जाऐ।
ब्लैक फंगस को लेकर जो खबरें आ रही हैं और एक्सपर्ट जो एग्जामिन कर पा रहे हैं उसके अकॉर्डिंग शरीर के जिस हिस्से पर हमला करता है लास्ट स्टेज में उस हिस्से को काट कर निकालना पडता है ।
अगर इसने आंखो पर हमला किया तो मरीज को अपनी आंखे निकालना बहुत जरूरी हो जाता है इस इंफेक्सन से बचने के लिए ओरल हाइजीन बहुत जरूरी है दिन में दो बार ब्रश पानी की बोतल को साफ करना जरूरी है।
अगर मरीजों होश मे है तो उसके मुंह की सफाई करना रोजाना बहुत जरूरी है और अगर मरिज होश मे नहीं है तब भी केमिकल माउथ पेंट डालकर मुंह की सफाई जरूर होनी चाहिए यह सावधानी कोविड-19 के साथ-साथ नॉन कोविड-19 पेशेंट के लिए भी जरूरी है।
ब्लैक फंगल इंफेक्सन किसी भी मरिज मे उसकी स्किन से शुरू होता है लेकिन शरीर के दुसरे भागो में फैल जाता है।
इसके इलाज में शरीर के इंफेक्टेड और मरे हुए सभी टीसू को हटाने पर सर्जरी की जरूरत पड़ती है कई बार कुछ मरीजो के ऊपरी जबडे और आंख तक निकालनी पड़ती है।
इलाज में एंटीफंगल थैरेफि का 4 से 6 हफतें का कार्स भी शमील हो सकता है क्योकि ब्लैक फंगल इंफेक्सन डिफरेन्ट बॉडी आर्गन को इंफेक्टेड करता है ।
इस कंडीशन में न्यूरोलॉजिस्ट, इएनटी स्पेशलिस्ट, आप्थालोमोलॉजिस्ट, डेंटिस्ट और सर्जन कि एक पूरी टीम की जरूरत पड़ती है।
अगर आप Mucormycosis के खतरे से बचना चाहते हैं तो मास्क जरूर पहने, अगर आप कोई ऐसा काम कर रहे है जिससे आप किसी मिट्टी, काई या फिर खाद के संपर्क में आ रहे है।
तो आपको जुते और हेण्ड ग्लवस पहनना ना बहुत जरूरी है ताकी ये चीजे सिधे आपके शरीर कि स्किन से टच ना हो पाऐ इस दौरान पूरी बाह की शर्ट और फूल पेन्ट जैसे टाउजर वगैरह जरूर पहने ।
इस दौरान साफ – सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखने के साथ – साथ अपने शुगर लेवल कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है ।
इंम्यूनूमाडयूलेटींग या एस्ट्रोराइड को कम से कम इस्तेमाल करना चाहीए । अगर आप कोविड-19 के इंफेक्सन से रिकवर कर गये है तो इसके बाद भी ब्लड मे ग्लूकोज का लेवल मॉनीटर करते रहने कि जरूरत है ।
एस्ट्रोईड का इस्तमाल केवल डॉक्टर की सलाह पर करें और ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान Humidifier के लिए साफ पानी का युज करे और बहुत जरूरत पड़ने पर ही एंटीबायोटिक एंड फंगल ड्रग का यूज करें ।
ब्लैक फंगल के सिमटम को बिल्कुल भी इंगनोर ना करे बंद नाक वाले सभी कैस में बैक्टीरियल साईन साईटीस को बिल्कुल भी ना समझे। स्पेशलनी कोविड-19 एम्युनोस्प्रेसन के मामले में इस तरह की गलती घातक हो सकती है।
फंगन एचूलॉजी को जानने के लिए KOH टेस्ट और माइक्रोस्कोपि कि हेल्प ले सकते हैं अगर डॉक्टर इसका इलाज तुरंत करने की सलाह दे रहे है तो इसे मानने कि जरूरत है।
रिकवरी के बाद भी इसके लक्षण को इंगनोर करना नही चाहीए क्योंकि कई मामलों में फंगल इन्फेक्शन एक बार रिकवरी के बाद 1 सप्ताह से एक महीने के भीतर दुबारा आ सकता है।
देश के कई राज्यो के अनेक शहरों में Mucormycosis के मामले सामने आने लगे हैं महाराष्ट्र अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरीयाणा, छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान में भी ब्लैक फंगस के मामले देखने में आ रहे हैं।
यह मरीज की आंख, नाक की हड्डी और जबड़े को भी नुकसान पहुंचा सकता है, लगातार हाईजीन का ध्यान रखे, अपने मुंह के साफ सफाइ का विशेस ध्यान रखे ।
खास तौर पर कोविड पेशेंट के मुंह और नाक में सफेद पपड़ी के जमने में फंगल इंफेक्शन के फैलने का खतरा रहता है।
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उम्मीद करते हैं यह आट्रीकल आपके लिए इनफॉर्मेटिव होने के साथ – साथ युजफुल भी रहा होगा अगर आपके पास भी ब्लैक फंगल से संबंधीत कोई जानकारी होतो हमे कंमेंट में लिख कर जरूर शेयर करे और यह आट्रीकल Black Fungus Kya Hai आपको कैसा लगा हमे कमेंट करके जरूर बताऐ ।