भारत में बाल विवाह का विषय आज भी चिंता का विषय है बाल विवाह किसी बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य पोषण और शिक्षा के अधिकार से वंचित करता है। ऐसा माना जाता है कि कम उम्र में विवाह के कारण लड़कियों को हिंसा, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का अधिक सामना करना पड़ता है।
Sharda Act Kya Hai
कम उम्र में विवाह का लड़की और लड़कियों दोनों पर शारीरिक, बौद्धिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव पड़ता है। शिक्षा के अवसर कम हो जाते हैं और व्यक्तित्व का विकास सही ढंग से नहीं हो पाता है।
हालांकि बाल विवाह से लड़के भी प्रभावित होते हैं। लेकिन यह ऐसा मुद्दा है, जिससे लड़कियां बड़ी संख्या में प्रभावित होती हैं और बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार ने 2006 में अधिक प्रगति शील बाल विवाह निषेध अधिनियम लाकर हाल के वर्षों में इस प्रथा को रोकने की दिशा में काम किया।
लेकिन अब फिर से सरकार लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को लेकर जल्द ही एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने जा रही है। सरकार लड़कियों की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने पर विचार कर रही है।
इसके लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है आज हम आपको बताने वाले है की सरकार की ओर से इस पूर्ण निर्णय के बारे में और जानेंगे शारदा बाल विवाह निरोधक अधिनियम के बारे में भी और जानेंगे कि कब-कब इस अधिनियम में संशोधन किया गया।
1978 में शारदा अधिनियम एक्ट में संशोधन के बाद लड़कियों की उम्र 15 साल से बढ़ाकर 18 साल कर दी गई थी।
बाल विवाह अधिनियम एक्ट के मुताबिक शादी के लिए लड़की की उम्र न्यूनतम 18 साल होनी चाहिए थी। लेकिन अब सरकार लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ा सकती है।
सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने पर विचार कर सकती है। इसके लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है।
इस फोर्स का अध्यक्ष वरिष्ठ नेता जया जेटली होंगे टास्क फोर्स कम उम्र में मां बनने और विवाह से संबंधित मामलों में फिर विचार करेगी। आपको बता दें कि सरकार द्वारा गठित टास्क फोर्स 31 जुलाई तक लड़कियों के विवाह, मां बनने और उनके शिक्षा को लेकर भी समीक्षा करेगी।
31 जुलाई को टास्क फोर्स अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दें इस टास्क फोर्स में जया जेटली के अलावा नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल, स्वास्थ्य महिला एवं बाल विकास प्राथमिक और उच्च शिक्षा विभाग के सचिव नजमा अखतर, वसुधाकमात व दिपती साह भी सदस्य के तौर पर शामिल है।
बताते चलें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल की वित्तीय वर्ष 20-2021 का आम बजट पेश करते हुए महिला की मां बनने की सही उम्र के निर्धारण के लिए एक टास्क फोर्स का गठन का ऐलान किया था।
Sharda अधिनियम पर एक नजर डालते है
बाल विवाह रोकने के लिए कानून बनाना यह जरूरी था ताकी इसको रोका जा सके इसके लिए शारदा एक्ट अधिनयम प्रभाव में आया लेकिन उतना प्रभावी नहीं रहा। जिसके कारण सन 1978 में शारदा एक्ट अधिनियम में संशोधन किया गया।
यह अधिनियम अब बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1978 के नाम से जाना जाने लगा, आपको बता दें बाल विवाह पर रोक संबंधी कानून सर्वप्रथम सन 1929 में पारित किया गया था।
बाद में 1949, 1978 में इस एक्ट में संशोधन किया गया इस संशोधित अधिनियम को शारदा बाल विवाह निरोधक अधिनियम या शारदा एक्ट के नाम से जाना जाने लगा।
वही 2006 में भी इसमे संसोधन किये गये सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति मोहन एम शांता नागोदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 9 के पुनर व्याख्या की।
गौरतलब है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 9 के अनुसार अगर 18 वर्ष से अधिक आयु का वयस्क पुरुष बाल विवाह करेगा तो उसे कठोर कारावास जिसके अंतर्गत 2 साल की जेल या ₹100000 का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।
गरीबी लड़कियों की शिक्षा का निचला स्तर लड़कियों को कम रुतबा दिया जाना एवं उन्हें आर्थिक बोझ समझता सामाजिक प्रथाएं एवं परंपराएं बाल विवाह के कारण है।
हरविलास शारदा
आइए एक नज़र हरविलास शारदा पर इनका जन्म 3 जून 1867 को अजमेर राजस्थान में हुआ था, यह एक शिक्षाविद, न्यायधीश, राजनेताओं एवं समाज सुधारक थे वह एक आर्य समाजी थी।
इन्होंने सामाजिक क्षेत्र में वैधानिक प्रक्रियाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की इन के प्रयासों से ही बाल विवाह निरोध अधिनियम 1930 अस्तित्व में आया।
उनके पिता हरनारायण शारदा शासकीय महाविद्यालय अजमेर में पुस्तकालय अध्यक्ष थे। वही आपको बता दें हरविलास शारदा का 20 जनवरी 1952 में देहांत हो गया।
भारत में शारदा कि लागू होने पर काफी हद तक बाल विवाह पर रोक लग गई लेकिन अशिक्षित जनसंख्या में आज भी बाल विवाह के उदाहरण सामने आते रहते हैं।
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जिससे एक बार फिर भारत सरकार को आवश्यकता है इस अधिनियम को प्रभावी बनाने के लिए करें और आवश्यक कदम उठाएं। ऐसे में सरकार की ओर से लिया गया यह फैसला काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है जिसमें इस बात पर गौर किया जाएगा कि आब लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल करने पर जो विचार किया जाएगा ।
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